इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने ट्विटर पर 3 हिंदू संतों यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को कथित नफरत फैलाने वाला कहने पर ‘आल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को बड़ा झटका दिया है। बता दें, जुबैर ने अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को खारिज करने की अर्जी दी थी, जिसे खारिज करने से इंकार कर दिया है।
आपको बता दें कि, लखनऊ हाईकोर्ट ने कहा कि एफआईआर के अनुसार पहली नजर में प्रतीत होता है कि जुबैर ने अपराध किया है। इस मामले की जांच करने की जरूरत है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की अवकाशकालीन पीठ ने जुबैर की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड के अवलोकन से प्रथम दृष्टया इस स्तर पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध का पता चलता है और ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में जांच के लिए पर्याप्त आधार है। जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता जुबैर ने एफआईआर को चुनौती देते हुए कहा कि उनके ट्वीट ने किसी वर्ग के धार्मिक विश्वास का अपमान या अपमान करने का प्रयास नहीं किया था और याचिकाकर्ता के खिलाफ सिर्फ परोक्ष उद्देश्य से उत्पीड़न के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी।
याचिका का विरोध करते हुए सरकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जुबैर एक आदतन अपराधी है और उसका 4 आपराधिक मामलों का आपराधिक इतिहास है। वहीं, याचिकाकर्ता की दलीलों को ठुकराते हुए पीठ ने कहा कि साक्ष्य एक गहन जांच के बाद एकत्र किया जाना चाहिए और संबंधित कोर्ट के समक्ष रखा जाना चाहिए।
उन तथ्यों की सत्यता विवेचना या विचारण में ही साबित हो सकती हैं। अतः एफआईआर को खारिज करने का कोई औचित्य नहीं है। मोहम्मद जुबैर ने ही भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा का वीडियो अपने ऑल्ट न्यूज़ पर डाला था, जिसको लेकर इस वक्त देश में कई जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।