प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी QUAD देशों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जापान पहुंचे हैं जहां वे कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाक़ात करेंगे। QUAD देशों की बैठक को लेकर चीन चिढ़ा हुआ है, और कई बार उसने अपनी हरकतों से आपत्ति भी दर्ज कराई है।
दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग अब भी जारी है। उधर चीन ने QUAD बैठक से पहले ही लद्दाख में पैंगोंग झील पर पुल बनाते हुए अपनी हरकत शुरू कर दी है। ऐसे में QUAD देशों की बैठक बहुत ही अहम मानी जा रही है। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है QUAD? क्यों QUAD से चिढ़ा रहता है चीन? कैसे भारत बन सकता है इस संगठन का गेमचेंजर? चीन को रोकने के लिए क्या है QUAD का प्लान?
24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाली बैठक में पीएम मोदी के अलावा तीन अन्य सदस्य देशों-अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथोनी अल्बनीज और जापानी पीएम फुमियो किशिदा हिस्सा लेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक QUAD की बैठक के बाद पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे। माना जा रहा है कि QUAD देशों की बैठक में चीन पर फोकस रह सकता है। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
अब आपको QUAD के बारे में बताते हैं… कि ये किस तरह का समूह, संगठन या गठबंधन है। वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग यानी QUAD चार देशों- अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक रणनीतिक गठबंधन है। इसका गठन 2007 में हुआ था।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, QUAD के गठन का प्रमुख अघोषित उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र यानी हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर के बीच पड़ने वाले इलाके में चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाना है। साथ ही इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों को चीनी प्रभुत्व से बचाना भी है।
हाल के वर्षों में चीन ने न केवल भारत पर बढ़त बनाने के लिए हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं, बल्कि पूरे साउथ चाइना सी पर अपना दावा भी ठोका है। उसके इन कदमों को सुपर पावर बनने की कोशिशों के तौर पर देखा जाता है। यही वजह है कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर QUAD के विस्तार पर काम कर रहा है, ताकि चीन के इन मंसूबों पर पानी फेरा जा सके।
QUAD का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी सैन्य या राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना है। इसे मुख्यता चीनी दबदबे को कम करने के लिए बनाए गए एक रणनीतिक समूह के रूप में देखा जाता है।
QUAD का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और समृद्ध बनाने की दिशा में काम करना है। QUAD न केवल सुरक्षा बल्कि आर्थिक से लेकर साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन, महामारी और शिक्षा जैसे अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
ख़ास बात यह है कि चीन शुरू से ही QUAD का विरोध करता रहा है, क्योंकि इसे वह अपने वैश्विक उभार को रोकने वाली रणनीति के रूप में देखता है। चीनी विदेश मंत्रालय का आरोप है कि QUAD उसके हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहा है। आपको बताते चलें कि चीन क्यों QUAD की बैठक को लेकर चिढ़ा हुआ है।