भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को आत्मघाती हमले में हत्या हुई थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में श्रीलंका में शांति सेना भेजी थी। इस वजह से तमिल विद्रोही संगठन LTTE यानी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम उनसे नाराज चल रहा था। 1991 में जब लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने राजीव गांधी चेन्नई के पास श्रीपेरम्बदूर गए तो वहां LTTE ने राजीव पर आत्मघाती हमला करवाया।
राजीव को फूलों का हार पहनाने के बहाने लिट्टे की महिला आतंकी धनु (तेनमोजि राजरत्नम) आगे बढ़ी। उसने राजीव के पैर छूए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया। धमाका इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों के चीथड़े उड़ गए। राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाती और इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव ने ब्रिटेन से कॉलेज की पढ़ाई की थी। 1966 में वे कमर्शियल पायलट बने। राजनीति में आना नहीं चाहते थे, इसलिए 1980 तक इंडियन एयरलाइंस के पायलट बने रहे। उस समय राजीव के छोटे भाई संजय गांधी जरूर राजनीति में सक्रिय थे। 1980 में विमान हादसे में संजय की मौत के बाद राजीव राजनीति में आए। उन्होंने संजय गांधी की अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते।
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस तीन-चौथाई सीटें जीतने में कामयाब रही थी। उस समय कांग्रेस ने 533 में से पार्टी ने 414 सीटें जीतीं। राजीव जब प्रधानमंत्री बने, तब उनकी उम्र महज 40 साल थी। वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में स्कूलों में कंप्यूटर लगाने की व्यापक योजना बनाई। जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित किए। गांव-गांव तक टेलीफोन पहुंचाने के लिए PCO कार्यक्रम शुरू किया। इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप भी उन पर लगे।
सिख दंगे, भोपाल गैस कांड, शाहबानो केस, बोफोर्स कांड, काला धन और श्रीलंका नीति को लेकर राजीव सरकार की आलोचना हुई। लिहाजा अगले चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और वीपी सिंह की सरकार बनी।