हैदराबाद (Hyderabad) में एक सनसनीखेज बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तारी के बाद दिसंबर 2019 में पुलिस के साथ कथित रूप से हुई गोलीबारी में चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में आज एक नया मोड़ सामने आया है जहां हत्या के आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वीएस सिरपुरकर के आयोग ने कहा कि हैदराबाद पुलिस (Hyderabad Police) के सभी दस पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा।
बता दें, शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व वाले पैनल ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए चारों बलात्कारी और हत्या के आरोपियों में से तीन नाबालिग (Minor) थे। पैनल ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को अपनी रिपोर्ट में हत्या के आरोपी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाने की सिफारिश की है।
बता दें, जांच आयोग ने जो अपनी डिटेल रिपोर्ट सौंपी उसमें माना गया है कि, “आरोपियों पर पुलिस ने जानबुझकर जो फायरिंग की उसे सही नहीं ठहराया जा सकता…’’ आयोग ने आगे माना, “हमारी राय में, जानबुझकर जान से मारने के इरादे से आरोपियों को गोली मारी गई है. पुलिस वालों को मालूम था कि इससे रेप के आरोपियों की मौत हो जाएगी।
आरोपियों के साथ कुल दस पुलिस अधिकारी चटनपल्ली गए थे, जहां से उन्हें दिशा की हत्या से जुड़ी सामग्री जुटानी थी। अक्टूबर-नवंबर 2021 में गवाहों और सबूतों की पड़ताल करने वाले जांच आयोग का कहना है कि – मृतक (आरोपियों) ने वो अपराध नहीं किया है जिसका दावा पुलिस कर रही है।
कमीशन (Commission) का कहना है- “जितनी भी चीजें ऑन रिकॉर्ड हैं उस पर विचार करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि मृतकों ने 6 दिसंबर 2019 को हुई घटना के संबंध में कोई अपराध नहीं किया है, जैसे हथियार छीनना, हिरासत से भागने का प्रयास, पुलिस (Police) पर हमला।
इस मामले में आयोग कहता है कि जिन पुलिस (Police) अधिकारियों ने आरोपियों पर गोली चलाई, वे पुलिसकर्मी ये नहीं कह सकते कि उन्होंने सेल्फ डिफेंस (Self Defense) में यह कार्रवाई की है। आयोग आगे पुलिस अधिकारियों (Police) की कार्रवाई को ‘सोची समझी फाइरिंग’ बताया है।