12 नवंबर भारत का राष्ट्रीय पक्षी दिवस है जो डाक्टर सालिम अली की याद में मनाया जाता है

12 नवंबर राष्ट्रीय पक्षी दिवस, 12 नवंबर भारत का राष्ट्रीय पक्षी दिवस है जो डा0 सालिम अली की याद में मनाया जाता है। 

महान वैज्ञानिक, बर्ड मैन ऑफ इंडिया डा0 सालिम अली का जन्म 12 नवंबर सन् 1896 में मुम्बई के एक मुस्लिम बोहरा परिवार में हुआ उनका संबंध मशहूर तैयबजी परिवार से था जिस परिवार के सदस्यों का इस देश की आजादी व तरक्की में बड़ा योगदान रहा है इनके रिश्ते के मामू इस्माइल तैयबजी महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे।

पर डा0 सालिम अली इतने खुश किस्मत नहीं थे एक साल की उम्र में वालिद का व तीन साल की उम्र में वालिदा का इंतकाल हो गया था 9 भाई बहन में सबसे छोटे थे बेऔलाद मामू ने पाला उनकी भी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी सरदर्द की न खत्म होने वाली बीमारी अलग थी ऐसी स्थिति में खुद कमाया और अपनी पढ़ाई का खर्च बर्दाश्त किया कम उम्र में शादी हो गई और पत्नी भी संघर्षों की साथी बन गई हर तरह की परेशानी झेली कमाई के लिए म्यांमार तक का सफर किया पर पढ़ाई न छोड़ी बीच में ब्रेक जरूर लगा आखिर वह करके दिखा दिया जो किसी का सपना हो सकता है।

जर्मनी से डाक्ट्रेट की डिग्री हासिल की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी दिल्ली युनिवर्सिटी समेत कई युनिवर्सिटीज ने डाक्ट्रेट की मानद डिग्री प्रदान की पद्म भूषण व पद्म विभूषण से सम्मानित किए गए इंग्लैंड व नीदरलैंड ने पुरुस्कारों से नवाजा और 1985 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी बनाए गएं।

एयर गन से दूरबीन तक का सफर

कहते हैं कि कभी शिकारी खुद शिकार हो जाता है यही डा0 सालिम अली के साथ हुआ यह अपने मामू अमीरुद्दीन तैयबजी के साथ चिड़ियों का शिकार कर रहे थे इन्होंने अपनी एयरगन से एक चिड़िया का शिकार किया जो दूसरी चिड़ियों से अलग थी उन्होंने इस चिड़िया के बारे में जानकारी हासिल करनी चाही मामू से पूछा मामू मुम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के मेंबर थे पर उन्हें भी इस चिड़िया के बारे में पता नहीं था मामू इन्हें सोसायटी के चिड़ियाघर ले गए वहां इन्हें जानकारी प्राप्त हुई वहां से इन्हें शौक पैदा हुआ उसी समय एयर गन रख दी और दूरबीन उठा ली।

उड़ती चिड़िया के परों को गिनना

यह एक असंभव काम माना जाता है जिसे डा0 सालिम अली ने संभव करके दिखाया और भारत में पाई जाने वाली चिड़ियों की गिनती कर डाली चिड़ियों के संबंध में कई किताबें लिखी जो पूरे विश्व में मशहूर हुई।

आखिर जून 1987 में इस महान वैज्ञानिक का इंतेकाल हो गया अगर भारतीय सरकार इन्हें भारत रत्न देती तो शायद इनके साथ खुद भारत रत्न पुरस्कार का सम्मान बढ़ता डा0 सालिम अली, डा0 ओबैद सिद्दीकी और डाक्टर रफीउद्दीन अहमद जैसे लोगों को भारत रत्न न दे कर भ्रष्ट नेताओं को दे दिया जाता है।

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